पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२९६

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इची था, तथा राज्य पर बैठने पूर्व अघा विदेशमें ही रहा करता था। इसने अपने नाना सिद्धराज जयहिसे शिक्षा पाई थी । | पुथ्वीराज-निजगरो ज्ञात होता हैं ६ मारपाने अब फदिमकै राजोपर चढ़ाई की थी तब यह भी उसके साथ था और इसमें कोंकनके जिको युःमें मारा था । यह घटना रामेश्वर राज्य पर बैठने शूर्य हुई थी। इसने चेदी ( जबलपुर ) के राजा नरसिहदेंवक्री कन्या विवाह किया था। इसका नाम र्पूरी था । इससे इसके दो पुत्र हुए-- रान और हरिराज ।। महू राजा ( भेश्वर ) बङ्गा वोर । प्रताप ५ । वजोल्पा लेपमें इसका उपचे * प्रतापईवर ' लिखी है । | पृथ्वीराजरासा नामक कादपमैं जा हैं " सामेश्वरका विवाहू ६लई तय हज अनद्दपालकी पुत्री कमलासे हुआ था। इससे पृथ्वीराजका जन्म हुमा । तथा इसे ( पृथ्वीराजको) १ मा के नाना देहलीके संवा राजा अपने जद से दियो य । पम्तु यई यात कपालकल्पित ही प्रज्ञात होता है, क्योंकि विधान ( वमल ) चतुर्थ समर्प ही देहलीएर हानाहा अधिधर हो चुके था । अत चीन ज्यिकै उचराधिकारीका अपने सामन्तकै यहीं गोद जाना असम्भव ही मनात होता है। कर्नल टीई हुने र अनङ्गपालकी कन्याका नाम बद। सा है। मर-मझिायमें सोनेरी का नाम नरदेवी ही हिंा है और दर्यपि इसमें पृथ्यारागका सभ्येतर वर्णन दिया है, तथापि देहके राजा अर्नाटक यह गोद जाने उसे कहीं न है ।