पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३४०

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नाछील और जालोरके चौहान ! यह बलवान् होनेके झारण अणखपुर (अणहिलपाटण-गुजरात) में भी सुखों रहता था। इससे प्रकट होता है कि यह उस समय चालुक्य के प्रधान सामन्तम था । वि० सं० ११४७ ( ई०१६ १०९०) * इसके समय | दो ॐख मिले हैं। इनमेसे पहला सादड़ और दूसर। नालरो मिला है। इसने म नाहोलमें जजलेश्वर महादेवका मन्दिर बनवाया था। | ११-रायपाल । यद्यपि इसका नाम नाडोल ताम्रपत्र और सूमाके लेसमें नहीं दिया है, तथापि वि० सं० ११९८ विकूण ८ र वि० सं० १९८० भाद्रपद कृष्णा ८ के इसके समयके लेखों में “महाराजाधिराज श्रीरायःपालदेयकल्याणविजयराज्ये ” लिखा है । इससे प्रकट होता हैं %ि उस समय नाडोलपर इसका अधिकार था । परन्तु जोजलदैया और इसका क्या सम्बन्ध था, इस बात पती उF से नहीं लगतः । मुम्मा हे यह जाजलदेवका पुत्र है और जिस प्रकार वर कीर्तिपाल तोपत्रमें पत्रपाल और जोजलदेव नाम छोड दिये हैं उसी प्रकार इसका नाम भी छोड दिया गया हैतो आश्चर्य नहीं ।। इसके समयॐ ३ लेख नाहलाई और नाडोल और भी मिले हैं। गयर-वि० सं० ११८९ ( ६० स० ११३२) का, वि० सं० १९९५ (६० सं० ११३८ ) का और वि०सं० १२०२(६० स० ११४५) छा। १३-अश्वराज । यह भेन्द्रराजका छोटा पुत्र और अपने बड़े माई जोनल्वेवा उत्तराधिझा था । (१२) Er Jna., vel , p 28-88 ५१