पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३५८

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जालोरके सोनगरा चौहान । इससे और रूपात आदिले अनुमान होता है #ि यह ' कान्हइदैव सामन्तहका पुत्र था। यद्यपि इसके राज्य समयका एक भी लेख अबतक नहीं मिला है, तथापि तारीख फरिश्तामें इसका उल्लेख है। उसमें एक स्थानपर पिं० स० १३६.१ (६० स० १३०५-६० स० ७३) की अलाउद्दीन सामन्त ऐनुलमुल्क मुलतानीकी विनय बर्णनमें लिखा है कि जलपरका जा नहरदेव एनुलमुल्क उज्जैन आईकी विजयकी व घरा गया और उसने सुलतानकी अधीनता स्वीकार कर ली 1 | उसमें में चलकर लिखा है कि, “जालोरका झा नहरदुख दिल्ली घादशाहुके दरबारमें रहता था । मूक दिन शुलतान अलाउद्दीनने गर्वमें आकर कहा कि भारतमें मेरा मुकाबला करनेवाळी एक भी हिन्दू राजा नहीं रहा है । यह सुन नेहमने उत्तर दिया कि यदि भ जालोरपर फिमण करनेवाली शासेनाको हराने योग्य सेना एफनित न कर समें सौ आम मुझे प्राणइड दें सकते हैं । इसपर सुलतानने उसे समासे म्यले जाने की आज्ञा दु । परन्तु जब सुलतानको उसके सैन एकत्रित करने समाचार मिला जब उसे लगत ने लिये सुकृतानने अपनी गुलवहित नामक दासीकी अधीनतमें जालोर पर आक्रमण करनेके लिए सेना भेजी । उक्त बासी चरतासे झड़ी । परन्तु जिस समय किल्ला फतह होनेका अवसर' या उस समय यह वैमार होकर मर गई । इस पर उसके पुत्र शाहीनने सेनाकी अधिनायकता मह की । परन्तु इस अवसर पर नेहरदेवने किसे निकले शाही सेनापर हमला किया और स्वयं अपने सामने शाहानको फर उसकी सेनाको दिक तरफ चार पाच तक ममा (1) Bulget. Farolita, Yol I, P 869, (३) Brict : TrEta, Vol I, F Y -11,