पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/६२

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मारतके प्राचीन राजबंश इसके मिश्रधातुके सिक्कों पर एक तरफ राज्ञो महाक्षबपस रुद्रसीहस" और दूसरी तरफ श० स० ११' x लिंवा मिलता है ।। इयं सिहके समय दो देश भी मिले हैं। इनमें से एक श० सं० १०३ की वैशाख शुक्ल पञ्चमीका है। यह गुंडा ( कार्डियावाई) में मिला है। इसमें इसकी उपाधि क्षत्रप लिपी है। दूसरा लेख चैत्र वा पद्यमीका है। यह जूनागढमें मिला है और इसका सवत् टूट गया है। इस लेतमें राजाका नाम नहीं लिखा । केवल जयदामा के पनका उल्लेख्न है । अत पूरी तोरसे नहीं कह सकते कि यह लैस इसका है। या इसके माई दामज्ञवफा है ।। इसके तीन पुत्र थे। रुसैन, संघदामी र डामसेन । सत्पदामा ।। [ सन्मवत • सु+ १११-१२ (६० सं० १५५ १ =वि० स= ३५१-२५५}} यह दानजी थमका पुत्र था। इसके क्षेप उपाधियाले चाँदीके सिक्के मिले हैं। इन पर एक तरफ * राजा महान पस्य दामजदयं पुत्रस्य रज्ञिो क्षतपस्य, रात्पदान" टिं। हता है । यह ३१ करीब करीब सस्त-रूपसे मिला हुआ है। इन सिक्का दूसरी एफ शक-यन् लिखा होता है । परन्तु अप तक एङ्ग से अगले अङ्क नहीं पन्ने गये हैं। | सत्यमार्क सिक्कों वि-मासे अनुमान होता है कि प तो यह अपने पिता दामन प्रश्रमके मजिप होने के समय क्षत्रप या या अपने भाई विद्ामा प्रपन बार महाभनय हुन समय । () मह | स्पष्ट नक्की पा जाता है। | (२) Ind Anal, Fal. *, ", 17, (१), t , 6, 1897. " !,