पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/६४

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मारत प्राप्त राजबंश १ राजा महाविप भद्रमुख स्वामी चन २ राना क्षत्रप स्वामी जयदीमा ३ राजा महाझुप भन्छ स्याम कुद्दामा १ रन मात्रप भद्मः स्वामी सिंह ५ राजा महाक्षत्र स्वामी ट्रसेन । इसमें जयामा नाम के आगे ममुखर्की उपाधि नहीं है। इसका फारण शायद इस महाक्षत्रप न हो सङ्गना ही होगा । तपा पैदा पैशावलीमें दामद कौर जीवदामाका नाम ही नहीं दिया है । इसका कारण उनका स्री शारनामें होना ही है। रुद्रसेनके दो पुत्र थे । पृषीसेन और दामजश्री (द्वितीया )। प्रवर्मन ।। शि० भ० १rt (ई. • १३१ = नि• • १७९}] यह झुसेन हुनुका पुत्र या ।। इसके जल क्षनप उपाघिद्राले चाँदीके हैं। सि में मिले हैं। इनपर एक तरफ “रा महासनपस #नस पुन राशी अननस पूर्थिविना " और दूसरी तरफ न सं० १४४ लिई राता है। | पर राज्ञा क्षम्य ही रहा है । महाक्षत्रप न हो सका, क्यों? इसी वर्ष इसका पता मर गया और इसके दन्ना परमाने राज्यपर अपना अधिक झार कर दिया। (इस घाइ सन् १९५४ तर्फका एक मी कप उपाध्विनि €िा अब तक नहीं मिटा है।)

  • पदामा । [ • • १४r; १४५ (६• • १२, १५=वि• B+ १७५, १८•} यह रुद्र प्रमो पुन या 1

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