पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/७१

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भारतके प्राचीन राजवंश विसंह। १९९-२० ५(३० सं० १७७-२५ X =जिस* [ शक- मह रुद्रुसेन द्वितीयका पुत्र या । यह शङ्क-संवत् १९९ और २०० में क्षत्रप या और श-स २०१ में शायद महाक्षत्रप हो गया था। उस समय इसका माई भद्मा क्षत्रप था, जो शक सं० २११ में महान हुआ । इसके सिक्झोंपर संदद साफ नहीं पड़े जाते हैं। ' इसके क्षत्रप उपार्थिवाले सिंक्कों पर उलट्री तरफ 4 राज्ञो महाक्षरपस स्दसेनपुत्र राको क्षेत्रास ववसीहस” और महाक्षत्रप उपर्धवालों पर 4 राज्ञो महाक्षत्रप सेनपुसि राज्ञो महापस बीवीस " हिवा होता है । तया मधी तरफ की तरह ही संवत् जगदि होते हैं। भद्दामा । [ श० स० ३०१-२१ ( ० रा ३७१-२५५ =•ि यू०१६-२५३) | यह रुद्रौन हितोयका पुत्र था और अपने भाई विवसिंहका उत्तराधिकारी हुआ । इ० सं० २०१ में यह क्षत्रप हुमा और कमसे कम श ६० ३०४ तक अवश्य इस पद पर रहा या । तथा श० से २११ में महाक्षत्रप हो चुका था । उक्त सैवत वाघ साफ शबवाले सिकके न मिल्ने कारण इन चातका पूरा पूरा पता लगाना कठिन है कि उक्त संवा घमें कम सङ्ग यह क्षत्रप रहा और झर्व महाशार्प मा। इसने श०सं० २१५ तक क्या किया था। इसके उप उपाधिवाळे सिक्कों पर इट्टी इरफ “ग महाशत्रपसे झनपुगस राज़ क्षत्रपस मर्तृदाश." और महाक्षत्रप पार्थिवालौंपर

  • राज्ञों रुक्षपस रुद्रनुपुनर्स को महासपिस भदामः' लिग मिला है।

(१) यह भी साफ नहीं हो जाता है।