पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/९४

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हैहय-अंश । । नरसिंहूदेवके समयके तीन शिलालेख मिले हैं। उनमें से प्रथम दो, ३० से ० ९९७' और ९०५' (विसं० १२१२ र १२१५) ६ हैं। | तथा तीसरा वि० सं० १२१६ झा ।। १४-जयसिंहदेव ।। यह अपने बड़े भाई नरसिंहदेवका उत्तराधिकारी हुआ; उसकी रानीका नाम गोसलादेवी था । उससे विजयसिंहदेवका जन्म हुआ । जयसिंह देवकै समयके तन लेख मिले हैं । पहला चैम् सं० १२६ ( वि० सं० १२३२ ) और दूसरों ने सं० ९२८ ( वि० सं० १२३४ ) हैं । तया तीस संवत् नहीं है। १५-विजयसिंहदेव ! यह परेका पुग्न था, तथउसके fळे गद्दी पर बैठा । उसका एफ तायमन चे० सं० १३३ (वि० ० १२३७) झा मिला है। इससे वि० सं० १२३४ और वि० सं० १२३ के बीच विनसिके राज्याभिषेकका होना सिद्ध होता है। उसके समयका दूसरा नामपन्न वि० सं० १३५३ का है ।। १६-अजयसिंहदेव ।। यह विजयव का पुत्र था। विजयसिदैव समयके चै० सं० १३२ (वि० सं० १२३७) के क्षेमें इसक्का नाम मिला है। इस राजा६ बस इस वंशका कुछ भी छाछ नहीं मिलता। | वै* करदीके राजा के चार वर्षय मिले हैं। उनके संवसादि इस प्रकार है-- (१) Ep. lnd. Fat II. 1. 10. (२) taa. Ant, val. xv, P, 1.३) led, Ash, pl Til, I. 214,(४) Ind. Ant, Pal. T, P. 6, ५ } Ip. Ind, Vol, E, P.]E१३) Ind, Aut, Fu, II, P, १६.१७), 13, A, E. V . 11, I', 181, (८) Ina, . .XY, F, ,