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भारत में अंगरेज़ी राज

९१४ भारत में अंगरेज़ो राज किन्तु सिन्ध को अंगरेजी राज में मिलाने का अभी समय न आया था। गवरमर जनरल लॉर्ड सिएटो ने अपने राजदूत की सलाह को अस्वीकार किया। - “ सन् १८१६ में अंगरेज़ों ने कच्छ पर हमला किया। तीन वर्ष बाद कच्छ पर क़ब्ज़ा कर लिया गया। कच्छ की सन् १२० की सरहंद सिन्ध से मिली हुई है, इसलिए सिन्ध सन्धि के साथ फिर नई सम्धि की आवश्यकता अनुभव हुई । सन् १८२० में तीसरी बार सिन्ध के अमीरों के साथ मित्रता की सन्धि को गई। हमें इन सन्धियों और अंगरेजों की छोर से उनके हर बार के उलन्न को विस्तार से बयान करने की आवश्यकता नहीं है। कप्तान ईस्टविक सफ़ लिखता है "हम उस समय तक के लिए नित्यस्थायी मित्रता की क़सम खा लेते थे, जब तक कि हमें देश पर मक्का करने और अपने मित्रों का नाश करने और उन्हें कैद कर लेने का सुविधाजनक आंवसर न मित जाय '।" : इसके बाद वह समय आया जब जनवरी सन् १८३१ में सर अलेक्जेण्डर वन्से, जो उस समय लेफ्टैंनेरठ दरियाना की : बन्र्ज था, महाराजा रणजीतसिंह के लिए उपहार लेकर सिन्ध पहुँचा। ऊपर एक अध्याय । सलाह t

  • ‘: - - ve swore parpetual amity until f convenient opportunity.

' for appropriatingthe country, and the destriction and imprisonment of ear

lies. "- Dry Zarior Yout Egyp; p. 244.