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भारत में अंगरेज़ी राज

१२४६ भारत में अगरज़ा रज की प्रार्थना के उत्तर में एलेनबु ने साफ़ युद्ध की धमकी दी। कातर महारानी ने पलेन को सन्तुष्ट करने के लिए अपने योग्य मन्त्री और संरक्षक निर्दोष दादा खासजीयाला को कैद तक कर लिया और उसकी जगह रामराव फलकिया को म नियुक्त कर दिया फिर भी लॉर्ड एलेन को सन्तोप न हो सका। उसने दो विशाल - सेनाएँ पक सोंधिया राज के उत्तर में और दूसरी पूर्व में जमा की । युद्ध में अब कोई कसर बाकी न रही । स्वालियर दरबार युद्ध से बचना चाहता था । विवश होकर दरबार ने दादा खासजीवाता को लॉर्ड पलेन के सुपुर्द कर दिया । लॉर्ड एलेन ने दादा को कैद कर लिया। दस वर्ष बाद बनारस में अंगरेजों की कैद के . अन्दर खींधिया के इस बफ़ादार सन्नी दादा ख़ासजीबाला की मृत्यु हुई । एलेनन की माँग अब पूरी हो चुकी थी । फिर भी उसे संतोष न हुआ । मलका विक्टोरिया के नाम एलेन के एलेनषु का १९ दिसम्बर सन् १८४३ के पत्र से पता चलता वास्तविक इरादा है कि वह शुरू से पक्षाघ पर हमला करना चाहता था और इस विचार से कि पवाब पर हमला करने के समय खींधिया की सन्नद्ध सेना अंगरेजों को पीछे से विक़ न , बह जिस तरह हो सके, पहले सधिया की सेना का नाश कर देना चाहता था। नया मन्त्री रामराव फलकिया प्लेनडू से मिलने के लिए आगरे भेजा गया । एलेनझू ने रामराव फतकिया से एक और नई बात