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भारत में अंगरेज़ी राज

१२५२ भारत में अंगरेजी राज क़ब्ज़ा कर लेने दिया ताकि प्रधान सिख सेना लाहौर और अमृत सर से हट कर जलालाबाद की ओर चली जाय और मुझे ! राजधानी लाहौर पर हमला करने का मौक़ा मिल जाथ। जनरल वेथुरा नामक एक यूरोपियन अफ़सर उन दिनों पश्ताव की सेना में अंगरेजों का गुसचर था । २० अक्तूबर सन् १४३ को लॉर्ड एलेनझू ने ड्यूक ऑफ बेलिइटन को लिखा कि मुझे आशा है कि एक दो वर्ष के अन्दर ही पश्ताव हमारे हाथों में आ जायगा। सन् १८४४ में राजा हीरा सिंह लाहर दवार का प्रधान मंत्री था । अंगरेजों ने सिख सेना को राजा हीरासिंह के विरुद्ध भड़ काया और जम्मू के राजा गुलाबसिंह को लाहौर दरबार के विरुद्ध उकसाया। लॉर्ड प्लेनडू को आशा थी कि नवम्बर सन् १८४५ तक मुझे लाहौर पर हमला करने का अवसर मिल जायगा । इस सम्बन्ध में पढ़नख़ के पत्र पढ़ने योग्य और पाश्चात्य कूटनीति का एक सुन्दर नमूना हैं । मई सन् १८४४ में जब कि बालक दलीपसिंह लाहौर की गद्दी पर था, अंगरेजों ने भाई भीमसिंहश्रतर- देशद्रोहियों का सिह और काश्मीरासिंह के अधीन एक सेना थानेश्वर से दुलपसिंह और उसके मन्त्री राजा हीरासिंह पर हमला करने के लिए लाहौर भिजवाई । ७ मई को फीरोज़पुर के निकट इस सेना का लाहौर दरबार की सेना के साथ संग्राम हुआ, जिसमें भीमसिंह, अतरसिंह और काश्मीरासिंह तीनों देशद्रोही मारे गए । अतरसिंह उस अजीतसिंह का भाई था, जिसने असफल प्रयत्न