पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१६८

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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय मरेश के साथ एलेनK का व्यवहार १२५१ हैं चाजार गरम हो गया । इस अराजकता के सम्बन्ध में दिसम्बर t r सन् १४३ की ‘ब्रिटिश फ़एड श्रॉफ़ इण्डिया’ नामक लन्दन की

  • एक पत्रिका ने लिखा था-

“मैं हूं ” में ज़बरदस्त सन्देह है कि कम्पनी ने रिशबतें दे देफर इन उपनों को खड़ा करवाया है और उन्हें भझुकाया है ।” “ x एक धन

  • लोलुप कपनी किसके पास किराए की एक सेना है, बिना लूट मार के नहीं

4 रख सकती x चूकि इस समय जरूरी तौर पर इन्नलिस्तान की तमाम शक्ति इन उपद्धों की जड़ में है, इसलिए हमें बिलकुल साफ़ दिखाई दे दे रहा है कि लाहौर का नगर लूटा जायगा और वहाँ के राज के टुकड़े टुकड़े किए जाऐंगे।’'’ ड्यूक ऑफ़ बेतिक्रेन और लॉर्ड एलेनझू के अनेक पत्रों से स्पष्ट है कि बहुत दिनों पहले से पक्षाघ के ऊपर लेनद्र की अंगरेजों के दाँत थे और लॉर एलेमयू ने योजनाएँ महाराजा खड़गसिंल और शेरसिंह के अनुयायियों, में कर्मचारियाँ और सरदारों को सिख राज के विरुद्ध अपनी ओर फोड़ने के अनेक प्रयत्न किए 1 अफ़ग़ानों और सिखों को एक दूसरे के विरुद्ध भड़काया गया और लड़ाया गया एक पत्र में लॉर्ड पतेन ने लिखा है कि मैंने जलालाबाद पर सिखों को इसलिए . में • ' , , we strongly suspect the Companys corrupt influence ha 84 been employed in Iraming and fomenting these plots, . . . . Iterskary Companyvielding a lhirelin aray, can not tive lut by plunder . . . . see too cleariy, that hncked as it necessarly now is, Bay at the refourt of। d Britain, Lahore wal be sackedthe Kingdom rent in piewes."-nt, ritisके Frict of India, December 1843, P. -47, 248. f