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भारत में अंगरेज़ी राज

१२६८ भारत में अंगरेज़ी रा लाहौर दवार अपनी सरहद के ऊपर कम्पनी की युद्ध की तैयारियों को और इन सब बातों को अच्छी तरह से सन्धि का लगातार देख रहा था । वह अब समझ गया कि अंगरेजों उल्लंघन का इरादा शान्ति कायम रखने का नहीं है । लाईौर दरबार को अंगरेजों के विरुद्ध और भी कई शिकायतें थीं। उनकी एक शिकायत थी कि कई बार अंगरेजों ने पिछली सन्धि का उल्लंघन किया 1 निस्सन्देह ये शिकायतें अत्यन्त गम्भीर थीं । फिर भी हमें उनके विस्तार में पड़ने की आवश्यकता नहीं है। सिखों की शिकायतों में से प शिकायत यह भी थी कि फीरोजपुर का नगर वास्तव में लाहौर द्ररवार का था, और अंगरेजों की प्रार्थना के अनुसार कुछ शर्तों पर उन्हें दे दिया गया था । इन शातों में से एक यह थी कि अंगरेज़ एक नियमित संख्या से अधिक सेना वहाँ पर न रखेंगे । फिर भी अंगरेज़ बिना लाहौर क्रवार की इजाज़त , के फीरोज़पुर की सेना को बेतहाशा बढ़ाते चले गए लाहौर दरवार का कहना था कि सन्धि के अनुसार सिख कर्मचारियों इत्यादि के सतलज पर करने में अंगरेजों को किसी तरह की बाधा न डालनी चाहिए थी, किन्तु अंगरेज़ इस विषय में लगातार सन्धि का उल्लंघन करते रहे और बार बार लाहौर के उन कर्मचारियों का अपमान करते रह जो सतत पार करते थे, इत्यादि। उस समय के सरकारी और ग़ैर सरकारी लेखकों ने अंगरेज़ों के ऊपर महाराजा रणजीतसिंह के अनेक पह अहसान फरामोशी खानों को मुक्तकण्ठ से स्वकार किया है ?