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भारत में अंगरेज़ी राज

१२४६ भारत में अंगरेजी राज करना शुक किया, और उन्हें यह समझाया कि सिख कौम सदा से मुसलमानों की शत्रु है । कप्तान ऐवट ने ऐबट की इन भोले, किन्तु युद्ध मेमी मुसलमानों को सिखों साम्प्रदायिक शरारतें के विरुद्ध भड़का कर उनसे यह वादा किया कि यदि तुम सिख राज को मिटाने में अंगरेजों को मदद दोगे तो सिखों से बदला निकालने का तुम्हें काफ़ी मौका दिया जायगा ! सरदारचतरसिंह इरीपुर में रहता था 1 ६ अगस्त सन् १८१८ को कप्तान वट के उकसाने पर आस पास के मुसलमानों ने 'नाकर हरीपुर को घेर लिया। नगर की रक्षा के लिए कुछ सेना चतर सिंह के अधीन इरीपुर में रहती थी। करनल कैनोरा नामक एक अंगरेज इस सेना का अफ़सर था । सरदार चतरसिंह ने करनल कैगोरा को नगर की रक्षा का हुकुम दिया । करन कैनोरा ने चतर सिंह का हुकुम मानने से इनकार कर दिया । इतना ही नहीं, बल्कि करन कैनो ने अपनी तोपें भर कर स्वयं उनके बीच में खड़े होकर यह साफ़ कह दिया कि यदि चतरसिंह का कोई आदमी निकट आएगा तो मैं उस पर वार कगा सरदार चतरसिंह ने अपने कुल पैदल सिपाही करनल कैनोरा से तोप छीनने के लिए भेजे। कैनो ने अपने एक हवलदार को इन सिपाहियों पर गोली चलाने } का मुकुम दिया । पक्षाबी हवलदार ने इनकार कर दिया। इस पर बाली करनत ने हवलदार को केरल कर डाला 1 इतने ही में दो पैदल सिपाहियों ने अपनी वन्दू से नमकहराम करना कैनोरा का ख़ात्मा कर दिया।