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भारत में अंगरेज़ी राज

१३२६ भारत में अंगरेजी रा पूर्वो पलान, और सतारा के राजा की मदद से ही अंगरेजों ने पेशवा बाजीराव का नाश किया । बाद में अंगरेजों का वचन सतारा के राजा के साथ प्रतिशा और उस पताल के अन्य सब वादों को तोड़ दिया गया । रॉबर्ट नाइट नामक एक अंगरेज लिखता है ‘एलान के वादों और सतारा के राजा की पुन: स्थापना, इन दोनों ने मिल कर पेशवा का नाश कर दिया, और अब हमारा जान बूझ कर उन वादों से पीछे हटना, जो इसने उस समय किए थे, एक ऐसा कार्य है। जिसे कोई भी ईमानदार आदमी निन्दनीय ठहराये बिना नहीं रह सकता, चाहे इस बचम भ के लिये उपरी दलीलें कैसी भी क्यों न दी जाये ।’’* राजा का नाम प्रतापसिंह था। प्रतापसिंह उस समय नाबालिग था। युद्ध के बाद प्रतापसिंह को महाराजा राजा प्रतापसिह स्वीकार किया गया और कप्तान ग्रॉण्ट को डफ की प्रतापसिंह बालिग होने के तक योग्यता के समय राज कार्य चलाने के लिये रेज़िडेण्ट नियुक्त करके सतारा भेज दिया गया । बालिग होने पर प्रतापसिंह बुद्धिमान और योग्य शासक निकला। अपनी इस योग्यता और बुद्धिमता के कारण ही वह अपने अंगरेज मित्रों की नज़रों में और अधिक खटकने लगा। वम्बई । • " The nssrances of the proclaimation, and the Zeinstatement of the Raja of Satara, Frained the Peshwak and our deliberate एwithdrawal now fro the pledges then given, morits the reprobation ot every conscientious man, however spacious the Arguments upon which the withdrawal has been recommended. "--The Frand Counmission Januarky, by Robert Knight, p, 45, 46.