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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पंजाब और बीच को घटनाएँ १४६ अंगरेज़ों के लिए दिल्ली या भारत को फिर से विजय कर सकना के सर्वथा असम्भव होता । पड़ाव का चीफ कमिश्नर सर जॉन लॉरेन्स इस बात को अच्छी तरह समझता था। इसलिए पक्षाघ को और विशेषकर सिखों को उस सइट के समय अंगरेज़ सरफ्तार का भत बनाए रखने के लिए सर जॉन लॉरेन्स ने जो जो उपाय किए वे अत्यन्त महत्वपूर्ण थे। सिखों को यह समझाया गया कि मुसलमान बादशाह तुम्हारे धर्म पर किस तरह हमले करते रहे हैं और किस सिखों को भड़काना प्रकार और ने दिल्ली के अन्दर रह्वजय गुरु तेगबहादुर का सर कलम करवा दिया था । सिखों को बताया गया कि अब तुम्हें अंगरेजों की सहायता से अपने धर्म के शत्रुओं से बदला लेने और दिल्ली के नगर क को जमीन से मिला देने का मौका मिला है । इतना ही नहीं, वरन् बूढ़े सम्राट बहादुरशाह के नाम से एक जाली एलान उन दिनों जगह जगह दीवारों पर लगा हुआ दिखाई दिया, जिसमें लिखा था कि बहादुरशाह का पहला फ़रमान यह है कि सब सिखों को मार डाला जाय । इतिहास लेखक मेटक लिखता है कि जिस समय यह झूठा एलान । A प्रकाशित किया गया, ठीक उसी समय बूढ़ा बहादुरशाह हाथी पर बैठ कर दिल्ली की गलियों में अपने मुख से यह एलान करता फिर रहा था कि यह युद्ध केवल फिरढ़ियों के साथ है और किसी भी भारतवासी को किसी तरह की हानि न पहुँचाई जाय। सर जॉन लॉरेन्स की इन चालों का यथेष्ट प्रभाव पड़ा। सम्राट