पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४४२

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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिएली, पजाय और वीव की घटनाएँ १५०७ इससे मालूम होता है कि कानपुर में अंग्रेज स्त्रियों और बच्चों 7 की त्या के किस्से में यदि कुछ सच भी है तो वह हैवलॉक के अत्याचारों से दुखित कुछ क्रान्तिकारियों के क्षणिक क्रोध का परिणाम था, किसी ने उसके लिए किसी को ग्राझा’ न दी थी, औौर नाना साहब को उसके लिये उत्तरदाता ठहराना गलत है। १० जुलाई को जनरल हैवलॉक अपनी विशाल सना सहित कानपुर के निकट पहुंच गया। नाना साहेब ने जनरत हैवलॉक ‘स्वयं सेना लेकर हैबलॉक का मुक़ाबला किया। का कानपुर र दोनों ओर की तोपों ने गोले बरसाने शुरू किए। प्रवेश किन्तु अन्त में नाना साहब की सेना को हार कर पीछे हट जाना पड़ा । नाना साहब ने फिर एक बार अपने सिपाहियों को प्रोत्साहित करके आगे बढ़ाने का प्रयत्न किया। एक अंगरेज इतिहास लेखक लिखता है कि फिर एक बार घमासान संग्राम हुआ। किन्तु अन्त में फिर हैवलॉक की विशाल सेना के सामने नाना साहब की सेना को हार कर विद्र की ओर चला जाना पड़ा । १७ जुलाई को हैबलॉक की विजयी सेना ने कानपुर के नगर ' में प्रवेश किया । हैवलॉक का नाम अंगरेजी राज के इतिहास में श्रमर हो गया । investigation was made into the circumstances of the nassacre, and re failed to discover that there s any premeditation or direction in the matter, ". Sir George Campbely, Provisional Civil Commissioner in the rutiny, as quoted in Tak othtw Site f th , ay E. Thompson pp19, 80.