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१५०८
भारत में अंगरेज़ी राज

१५०८। भारत में अंगरेजी रा नगर में घुसने के बाद चाल्र्स बॉल लिखता है जनरल हैवलॉक ने सर स्यू व्हीलर की मृत्यु के लिए भयडूर बदला चुकाना शुरू किया। हिन्दोस्तानियों के गिरोह के गिरोह कानपुर में . फाँसी पर चढ़ गए । ध्यु के समय कुछ क्रान्तिकारियों अंगरेजी सेना के ने जिस प्रकार चित्त की शान्ति और अपने व्यवहार में भोज का परिचय दिया, वह उन लोगों के सर्वथा योग्य था जो कि किसी सिद्धान्त के नाम पर शहीद होते हैं ।'s इनमें से एक व्यक्ति को मिसाल देते हुए चाल्र्स बॉल लिखता है कि वह बिना जरा सी भी घबराहट के ठीक इस प्रकार फाँसी के तख्ते पर चढ़ गया जिस प्रकार एक योगी अपनी समाधि में अध्याचार प्रवेश करता है !। सब से पहले गोरे और सिख सिपाहियों को नगर के लूटने की आज्ञा दी गई। उसके बाद फाँसियों का ब्राह्मणों से खून बाज़ार गर्म हुआ। लिखा है कि बीबीगढ़ में जमीन के ऊपर खून का एक बड़ा धब्बा था। सन्देह था कि यह छून गोरी मेमों और बच्चों का है । शाहर के चटवान • " General Havelock began to greak a terrible vengeance for the death of Sit Hugh Wheeler Batch upon batch of natives mounted the seafrold. Tho calmness of mind and nobility ot demanour which some of the revolutionaries showed at the time of death was such as would do credit to those who martyred themselves tor devotion to a principle. ".Charles Ball's Intial thatiny, voi. i, p. 388. f " without the least agitation, he mounded the scaffold even as Yogt enters Samadhi !"-lbid.