पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४४८

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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

लिी, पझाव और बीच की घटनाएँ १५११ घटना किनारे किनारे अमृतसर की ओर बढ़े। सर रॉबर्ट मॉण्टगुमरी ने N थाशा दी कि उनका पीछा किया जाय । अमृतसर का डिप्टी कमिश्नर फ्रेडरिक पर मॉटगुमरी का खास आइसी था । २६ नम्बर पलटन के ये हिन्दोस्तानो सिपाही थके हुएभूखे और निहत्थे अमृतसर की एक तहसील अजनाले अजनाले को से ६ मील दूर रावी के किनारे पड़े हुए थे । अजनाला अम्मृतसर से १६ मील के फासले पर है । इसके बाद अजनाले में जो घटना हुई उसे फ्रेडरिक कूपर ने अपनी पुस्तक दी क्राइसल इन दी पक्षाघ” में बड़े अभिमान के साथ वर्णन किया है 1 इस घटना को हम ठीक ऊपर ही के घयाम के अनुसार और उसी के शब्दों में केवल थोड़े से संक्षेप के साथ नीचे बयास करते हैं । ३१ जुलाई के दोपहर को कूपर को पता चला कि ये लोग राबी के किनारे किनारे बढ़ रहे हैं। अजनाले के तहसील- रावीतट का हया दार को सशस्त्र सिख सहित कुछ सिपाहियों उन्हें घेरने के लिए भेजा गया । चार बजे शाम को कूपर स्वयं ८० या ६० सवारों सहित क पर पहुँचा। उन थके हुए और भूखे लोगों पर गोलियाँ चलाई गई। उनकी संख्या करीब पांच सौ के थी। इनमें से करीब डेढ़ सौ गोलियाँ से जख्मी होकर पीछे को हटे और रावी में डूब गएऊपर लिखता है कि भूख और थकान के सबब वे इतने निर्बल थे कि धार में ठहर न सके । राबी का जल उनके रक से रगया । शेप ने पानी काण्ड