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दिल्ली, पंजाब और बीच की घटनाएँ

दिल्ली, पजाब और बीच की घटनाएँ १५१९ उसने अनेक उपाय किए। किन्तु व्यर्थ ! उसने अपने बेटे मिरजा W मुग़ल को हटा कर दिल्ली की सेनाओं का प्रधान नेतृत्व बन नाँ को सौंप दिया। किन्तु इससे भी कार्य न चला । अन्त में सम्राट बहादुरशाह ने नीचे लिखा पत्र स्वयं अपने काँपते हुए हाथ से लिल कर जयपुर, जोधपुरबीकानेर, अलवर और अन्य अनेक राजा के पास भेजा ‘मेरी यह दिती ग्रवाहिश है कि जिस ज़रिए से भी और जिस कीमत पर भी हो सकेफ़िरह्नियों को हिन्दोस्तान से याहर निकाल दिया जाय । मेरी यह ज़बरदस्त प्रवाहिश है कि तमाम हिन्दोस्तान प्राठाव हो जाय । लेकिन इस सनसद को पूरा करने के लिए जो क्रान्तिकारी युद्ध शुरू कर दिया गया है वह उस समय तक फ़सहयाय नहीं हो सकता जिस समय तक कि कोई ऐसा शइस जो इस तमाम तहरीक के भार को अपने ऊपर उठा सके, जो क़ौम की अन्तलिफ ताक़तों को सहूठित करके एक छोर लगा सके और जो अपने सईतमाम औौम का नुमाइन्दा कह सके, मैदान में नाकर इस क्रान्ति का नेतृत्व अपने हाथों में न ले ले । अंगरेजों के निकाल दिए जाने के बाद आपने ज़ाती फ़ायदे के लिए हिन्दोस्तान पर हुकूमत करने की मुरूमें ज़रा भी मूवाहिश बाकी नहीं है । अगर आप सब देशी नरेरा दुश्मन A को निकालने को ग़ार से चपनी तलवार खींचने के लिए तैयार हों, तो मैं इस बात के लिए राज़ी हूँ कि आपने तमाम शाही अम्तियारात और हर्शी देशी नरेशों के किसी ऐसे गिरोह के तार्यों में सौंप , जिसे इस काम के लिए चुन लिया जाय ।।* The Autograph letter,-Natict Narratinst, by Sir T. Letcalfe, p. 226. ४६