पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/४६७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५२२
भारत में अंगरेज़ी राज

९५२२ भारत में अंगरेजी राज – चह्ना ने तीनों शहजादों से वादा कर लिया था कि मैं जनरल बिलसन से तुम्हारी जान बख़्शवा हूँगा ! शाहज़ादों के सिर काट कर सम्राट बहादुरशाह के सामने लाए गए । सिरों को पेश करते हुए हडसन ने वहादुर शहूज़ों के कटे शाह से कहा : हुए सर। “कम्पनी की ओर से यह आपकी नज़र है जो यरों से बन्द थी । बड़ा हसन निज़ामी ने लिखा है कि सम्राट बहादुरशाह ने जवान बेटों और जवान पोते के कटे हुए सिर देखे तो नाश्चर्यजनक वैर्य के साथ देख कर मुंह फेर लिया और कहा : – ‘अलहम्दोजिएलाह ! तैमूर की औलाद ऐसी ही सुm रू होकर बाप के सासने जाया करती थी !'g इसके बाद शहज़ादों के सिर खूनी दरवाजे के सामने लाकर लटका दिए गए और धड़ कोतवाली के सामने टाँग दिए गए। अगले दिन इन तीनों लाशों को जमना में फिंकवा दिया गया । शहज़ादों की हत्या के सम्बन्ध में एक और इससे भी कहीं अधिक भयकर रियायत दिल्ली में मशहूर थी। हडसन ने शहजाद बह रिवायत यह है एक ये शहज़ादे जिन्हें कि तो का खून पिया हडसन ने इस प्रकार धोखा देकर मारा, चार थे । ¥ अर्थ- खुदा की तारीफ़ है ! मूर की औलाद इसी प्रकार सुख उज्ज्वल करके बाप के सामने आया करती थी !