पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५०८

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अवध और बिहार

अवध और विहार १५५ साथ साथ एक जहाज़ी बेड़ा करनल पॉवल और कप्तान पोल

  • “के आधीन कलकत्ते से इलाहाबाद की ओोर भेजा गया। इस बेड़े
को भी कई स्थानों पर क्रान्तिकारियों से लड़ना पड़ा। इनमें से एक

स्थान पर करनल पॉवत मारा गया । ३ नवम्बर को सर कॉलिन कैम्पबेल कानपुर पहुंचा। कैम्पबेत ने अब ग्रात्यन्त विशाल पैमाने पर कानपुर में सेना जमा करनी शुरू की । यह सेना ब्रिगेडियर जनरल नॉएट के अधीन जमा की गई। जहाज़ी बेड़ा भी कानपुर पहुँच गया। दिल्ली की अंगरेज़ी सेना इस समय तक आज़ाद हो चुकी थी। जनरल टिहेड इस सेना सहित दिल्ली से कानपुर तक मार्ग के क्रान्तिकारियों को दमन करता हुआ कानपुर पहुंच गया । एक अंगरेज इतिहास लेखक लिखता है कि क्रान्ति के प्रारम्भ । से लेकर नवम्बर तक दिल्ली के पूर्व का समस्त ग्रेटहेड की कानपुर प्रदेश क्रान्तिकारियों के हाथों में था, किन्तु जनता को उससे कोई कट न पहुँचा था- ‘वोरा न केवल खेती बाड़ो करते ही रहेपरन् अनेक जिलों में इतने विशाल पैमाने पर फरसे रहेजिससे पुधिक कि उन्होंने पहले कभी न की ' थी। वास्तव में सिवाय इसके कि क्रान्तिकारी अपनी चाचश्यतानों को पूरा कर लेते थे, वे देशवासियों पर कोई अन्याय करने का साहस न करते थे ।’’ यात्रा • " The people not only eultivated but in many districts as etensively as ever, In fact beyond suplying tiati: necessity, the Febels did not venture to a fume the character of tyrants of the country ."--Marralty cur Initta RBA