पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५४४

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अवध और बिहार

अवध और विहार प्रवे गढ़ा के उस पार कुछ दूरी पर जगदीशपुर को राजधानी थी। श्रा से आठ महीने पहले कुंवरसिंह को वरसिंह का जगदीशपुर से निकल जाना पड़ा था। इन प्राठ जगदीशपुर में ', ' महीने तक जगदीशपुर अंगरेजी सेना के कब्जे में रहा। २२ अप्रैल को ज्ञा कुंवरसिंह ने फिर जगदीशपुर में प्रवेश किया। कुंवरसिंह के भाई अमरसिंह ने पहले से कुछ स्वयं सेवकों का एक दल कुंवरसिंह की सहायता के लिए जमा कर रखा था । जगदीशपुर पर फिर से कुंवरसिंह का क़ब्ज़ा हो गया। आरा के अंगरेज़ अफ़सर चकित हो गए । २३ अप्रैल को लीटैण्ड के अधीन कम्पनी की सेना जगदोशपुर लीएड की ईएड की पर दोबारा हमला करने के लिए भारत से चती । आठ महीने कुंबरसिंह और उसको सेना के लगातार संग्राम और कठिन यात्रा में बीते थे । जगदीशपुर पहुँचे उसे भी २४ घण्टे भी न हुए थे। कुंवरसिंह का दाहिना हाथ कट चुका था। उसके पास सेना भी एक हज़ार से अधिक नम थी। उसके मुकाबले में हीलूएड की सेना पुसजित और ताज़ा थी। ) : तीर्ष भो इस सेना के साथ थीं 1 कुंवरसिंह के पास उस समय कोई तोप नम थी 1 जगदीशपुर से डेढ़ मील के फासले पर लीटैण्ड और रॉबरसिंह की सेना में संग्राम हुया 1 लीटूण्ड की सेना में कुछ अंगरेज़ और अधिकांश सिख थे । किन्तु मैट्ान फिर पूरी तरह कुंवरसिंह के हाथों में रहा। उस दिन की पराजय को पराजय ।