पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५५८

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई औौर तात्या टोपे १६०९ रानी लक्ष्मीबाई ने कम्पनी की सेना के पहुँचने से पहले झाँसी के चारों ओोर दूर दूर तक के इलाके को घीराम करवा दिया था, ताकि प्रभु की सेना को झाँसी पर हमला करते समय रसद इत्यादि न मिल सके। न खेत में नाज की एक बात थी, न कहीं पर घास का तिनका था और न साए के लिए कोई घृक्ष था । किन्तु महाराजा सींधिया ने गौर टेहरी टोकमगढ़ के राजा ने कम्पनी को सेना के के लिए रसद, घास इत्यादि का इतना अच्छा प्रबन्ध कर दिया था कि उस सेना को किसी तरह की कठिनाई न हैं । अंगरेजी सेना को बढ़ते देख कर रानी लक्ष्मीबाई ने क्रान्ति कारियों का सेनापतित्व ग्रहण किया। प्रत्येक बचमीबाई मोरचा उसने अपनी उपस्थिति में तैयार कराया । का सैनातिब और आपने सामने फ़सील के ऊपर तोप चढ़ाई। सर छूरोज़ लिखता है कि शमी लक्ष्मीबाई के साथ झाँसी को सैकड़ों त्रियाँ तोपख़ानों औौर मैगज़ोन म घाती जाती और काम करती दिखाई दे रही थीं। २४ मार्च को सवेरे सबसे पहले झांसी की एक तोप ने, जिसका नाम घनग चा, कम्पनी की सेना के गोंसी में प्राठ दिन ऊपर गोले बरसाने शुरू किए । उसके बाद ग्राठ लगातार संग्राम दिन तक लगातार संग्राम होता रहा । एक दर्शक, जो उन दिनों झाँसो में बंद था, लिखता है :

  • २५ सारीख़ से गहरा संग्राम प्रारम्भ हुआ । गरेजों ने सारे दिन नौर