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भारत में अंगरेज़ी राज

१६१४ भारत अंगरेजी राज में औौर सामान मौजूद हैं, कालपी की पराजित सेना के अवशेषों पर एक नई सेना गढ़दी कर लेगा और समस्त भारत के अन्दर एक मराठा विप्लव पैदा कर" देगा ॥ तात्याटोपे इस काम में बड़ा चतुर था । ऐसी हालत में सम्भव है कि वह पेशवा का झण्डा फहरा कर खिन महाराष्ट्र के जिलों को भड़का दे। उन ज़िलों में अंगरेजी सेना बाकी नहीं है । यदि मध्य भारत में विप्लवफारियाँ फो ख़ासी सफलता मिल गई तो सम्भव है कि दक्खिन के लोग फिर से पेशया की उस सत्ता लिए जाएँलिए उनके पूर्वज युद्ध के खड़े हो , जिसके कर चुके थे औौर आपना रक्त यट्ठा चुके थे ।'s लक्ष्मीबाई ने अब इस बात पर ज़ोर दिया कि और सब काम छोड़ कर सेना को तुरन्त सन्नद्ध कर मैदान में चमीबाई की। लाया जाय। रावसाहब और अन्य नेताओं ने नक सलाह रानी की इस सलाह की अवहेलना की। अमूल्य समय दावतों और उत्सवों में नष्ट किया गया । इतने में सर यू रोज़ अपनी सेना सहित बेग के साथ स्वालियर पर टूट पड़ा। सर ह्य रोज़ ने महाराजा सधिया को अपने साथ रखरखा और एलान में किया कि कम्पनी की संना केवल सींधिया को ग्वालियर की गद्दी ' पर फिर से स्थापित करने के लिए आई है। तात्याटोपे मुकाबले के लिए आगे बढ़ा। ग्वालियर की सेना इससे पहले उत्तर भारत में एक बार कम्पनी बचमीबाई की की सेना से हार खा चुकी थी। थोड़ी देर के रचना व्यूह संग्राम के बाद ही ग्वालियर की सेना में उथल

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