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भारत में अंगरेज़ी राज

१६१८ भारत में अंगरेजी राज छूटने । बेहोश होते होते रानी ने अपनी तलवार से उस गोरे लगा सवार को, जिसने सामने से रानी पर वार किया था, काट कर गिरा दिया ! किन्तु इसके बाद लक्ष्मीबाई की भुजा में औौर अधिक शक्कि न रह गई । लक्ष्मीबाई का एक वफ़ादार नौकर रामचन्द्रराव देशमुख उस समय पास था । घटनास्थल के निकट गद्दादास बावा की। कुटियां थी । रामचन्द्रराव रानी को उठा कर उस कुटिया में ले गया 1 गईंदास बाबा ने रानी को पीने के लिए ठण्डा पानी दिया और उसे अपनी कुटिया में लिटा दिया । चन्द मिनट के अन्दर ही रानी लक्ष्मीबाई का शरीर ठण्डा पड़ गयारामचन्द्रणब ने रानी की अन्तिम इच्छा है । लपमीयाई का अन्तिम संस्कार के अनुसार शत्रु से छिपा कर घास की एक छोटी सी चिता बनाई और उस पर रानी लक्ष्मी वाई के मृत शरीर को लिटा दिया। थोड़ी देर के अन्दर आग की लपटी में लक्ष्मीबाई के शरीर की केवल अस्थियाँ शेष रह गई । निस्सन्देह महारानी लक्ष्मीबाई का समस्त व्यक्तिगत जीवन जितना पवित्र और निष्फल था उसकी मृत्यु ज का चमीबाई थी। । भी उतनी ही वीरोचित संसार के इतिहास है। म कदाचित् विरले ही उदाहरण इस तरह की M त्रियों के मिलेंगे जिन्होंने इतनी छोटी आयु में इस प्रकार शुद्ध जीवन व्यतीत करने के बाद लक्ष्मीबाई की सी अलौकिक वीरता और असाधारण युद्ध कौशल के साथ किसी भी देश की स्वाधीनता चरित्र।