सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१००

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५१३
तज्जोर राज्य का अन्त

तखोर राज का अन्त ५१३ मशहूर ईसाई पादरी रेवरेण्ड पूवार्ट्ज़ को सार्बोजी का शिक्षक नियुक्त करके भेज दिया । एक दूसरा अंगरेज़ मैक्लाउड तोर के दरबार में रेज़िडेण्ट नियुक्त करके भेजा गया । पादरी पूवार्ट्ज़ और रेजिडेण्ट मैक्लाउड ने मिलकर अब राजा श्रमरसिंह और तोर राज के खिलाफ़ नए सिरे से साज़िशें शुरू की। थोड़े दिनों में राजा अमरसिंह के साथ रेजिडेण्ट मैक्लाउड का व्यवहार इतना उद्दण्ड हो गया कि राजा अमर भेदों का खुलना सिंह ने इसकी शिकायत की। जिस अंगरेज़ को हम ऊपर उद्धृत कर चुके हैं, वह लिखता है कि :- ___ "धीरे धीरे इस तरह के भेद खुजे जिनसे राजा अमरसिंह को xxx विश्वास हो गया कि कम्पनी ने अपने इस मुलाजिम मैक्लाउड को ओर के दरबार में केवल मात्र इसलिए नियुक्त करके भेना था, ताकि मैक्लाउड द्वारा प्रमागे राजा को समझा कर, या यदि जरूरत हो तो किसी तरह मजबूर करके उससे राज छीन लिया जाये और उसे अपने शेष सांसारिक जीवन के लिए कम्पनी का एक पेनशनर बनाकर रक्खा जावे।" ____“xx x माननीय ईस्ट इण्डिया कम्पनी जिंन उपायों से दूसरों के राज प्राप्त करती थी, उनमें ईमानदारी और बेईमानी का बहुत अधिक विचार न किया जाता था ।"* circumstances gradually transpired which convinced the Raja that this civil servant of the Honorable East India Company had been placed at the Court of Tangore for no other purpose than that of inducing, or even (if necessary), compelling the unfor- tunate Rajah to give up has territory and become a pensioner of the said