पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/९९

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भारत में अंगरेज़ी राज

५१२ भारत में अंगरेजी राज इसी समय यह भी महसूस किया गया कि सन् १७८७ की ___ स्थाई मित्रता की सन्धि में भी कुछ दोष रह गए सब्सीडीयरी 1 थे। इसीलिए सन् १७६३ में फिर एक नई सन्धि सन्धि का जाख - राजा अमरसिंह के साथ की गई। इस बार की सन्धि में अब कम्पनी ने सदा के लिए तओर राज की रक्षा करने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली और उसके बदले में राजा अमरसिंह ने एक बहुत बड़ी सालाना रकम सेना के खर्च के लिए कम्पनी को अदा करते रहने का वादा किया। इस प्रकार तओर की रियासत भी 'सब्सीडीयरी सन्धि' के जाल में फंस गई। राजा अमरसिंह के चरित्र के विषय में एक अंगरेज़ लेखक .. लिखता है कि-"तोर का राजा अमरसिंह राजा अमरसिंह के एक निहायत ही अच्छे चरित्र और उच्च सिद्धान्तों का श्रादमी था, और ब्रिटिश गवरमेण्ट का निहायत हो सथा शुभचिन्तक था।" ___ किन्तु अंगरेजों को इच्छा अभी पूरी न हुई थी। वे जितनी जल्दी हो सके, तोर राज को खत्म कर देने का इरादा कर चुके थे। सबसीडोयरी सन्धि उनके लिए केवल एक बीच का साधन थी। उनकी दुरको चाले बराबर जारी रहीं। एक ओर उन्होंने अमरसिंह को गद्दी पर बैठा दिया और दूसरी ओर एक • “The Raja of Tanjore (Amar Singh) was a man of extremely good character and high principle and exceedingly well disposed towards the Bntush Government "-Life of General, the Right Honorable, Sir David Baurd, Bart, vol 1,p 119