पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१२२

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सूरत की नवाबी का खात्मा

सूरत की मवादी कामात्मा धन और कि अंगरेज उपर से नवाब के प्रति कुन प्रादर दिसखाते हैं और सुखे तौर पर कभी न मानेंगे कि मवाब उनके अधीन है, फिर भी जवाब को अंगरेजों की माज्ञाएँ माननी पड़ती है।" ___ सन् १७५६ से १७६६ तक चार नवाबों के शासन काल में यही दो अमली जारी रही। माकिंस घेल्सली ने श्राफर इसे खत्म करने का इरादा किया। नवाब को लिखा गया कि अपने यहाँ के "शासन प्रबन्ध में सुधार" करो। इस “शासन सुधार" का मतलब अंगरेजों का नई ___ यह था कि अपनी सेना को बरखास्त कर दो, सरकार सन्धि द्वारा और तीन पलटन कम्पनो की सेना अपने यहाँ रक्खो रिमायतें हासिख और उनके खर्च के लिए कम्पनी को सालाना धन दिया करो । नवाब ने वेल्सली की बात मानने से इनकार कर दिया । उसका एक एतराज यह भी था कि कम्पनी की यह मांग सन् १७५६ की सन्धि के विरुद्ध है। किन्तु जब नवाब को ज्यादा दबाया गया तो उसने समझौता कर लिया और कम्पनी को एक लाख रुपए सालाना देना और उसके अलावा ३०,००० रु० सालाना से ऊपर की और रिश्रायतें उनके साथ कर देना स्वीकार कर लिया । अभी इस नए मज़मून के सन्धि पत्र पर दस्तखत न होने पाए थे कि = जनवरी सन् १७६४ को नवाब की मृत्यु हो गई। नवाब के एक दुधमुहा बेटा था, किन्तु अपने पिता के एक महीने बाद उसकी भी मृत्यु हो गई । इस बच्चे का चाचा नसीरुहीन सूरत की मसनद पर बैठा। करना