पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१२६

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

ग्यबहार पेशवा को फांसने के प्रयन ५३ से लेकर वेल्सली के समय तक हर बवरनर जनरल के समय में मराठों के बल को तोड़ने के लिए बराबर साज़िश जारी रहीं। इस सम्बन्ध में यह बता देना आवश्यक है कि इतिहास में एक भी उदाहरण ऐसा नहीं मिलता, जिसमें कि साथ मराठों ने अंगरेज़ों के साथ विश्वासघात किया हो, किन्तु इसके विपरीत मराठों के साथ अंगरेज़ी के व्यवहार को बयान करते हुए एक अगरेज़ विद्वान लिखता है- "अब हम मराठा राज का ज़िक्र करते है, जिसका अंगरेजों के यरू जमाने के साथ गहरा सम्बन्ध है । उस जमाने की हालत को हम चाहे किसनी भी सफाई के साथ क्यों न बयान करें, उसमें अनेक बातें ऐसी है जिन पर अंगरेज़ों को शर्म पानी चाहिए ।" __इसी प्रकार वारन हेस्टिंग्स ने पालिमेण्ट के सामने अपने जुर्मों हेस्टिंग्स की स्वीकृति की जवाबदेही करते हुए और नाना फड़नवीस, " हैदरअली तथा निज़ाम के उस मेल की ओर इशारा करते हुए, जिसे हम एक पिछले अध्याय में बयान कर चुके हैं, बड़े अभिमान के साथ कहा था- ___ "महान भारतीय सङ्घ के एक सदस्य ( निज़ाम) को मैंने ठीक मौके पर उसका कुछ इलाका वापस करके उस सक से फोड़ा दूसरे (मूदाजी भोसले) के साथ मैंने गुप्त पत्र व्यवहार भारी रक्खा और उसे अपना मित्र ."We now arrived at the Marhatta Ra), which as closely coupled with the earlher days of the British However tairly told, there is much for the English to be ashamed ot in this period "-Sr Frederick Lely in his History as Taught in Indian Schools