पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१३२

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को कॉलने के प्रयत्न ५४५ उत्तर की ओर लौट आना पड़े। भारत की स्वाधीन रियासतों के अन्दर कम्पनी के रेजिडेण्टों का मुख्य कार्य उन रियासतों के बल और उनकी प्रान्तरिक कमजोरियों को भाँपना और उनमें अन्दर ही अन्दर फूट डलवा कर उनका नाश करना ही होता था। वेल्सली ने अपने खुले सरकारी पत्रों में बार बार रेज़िडेण्टों को यह आदेश दिया कि तुम लोग देशी राज्यों के अन्दर "प्रापसी द्वेष और असन्तोष से लाभ उठाओ।" जिसका साफ़ शब्दों में मतलब यह था कि उन रियासतों में आपसी द्वेष और असन्तोष पैदा करो। इस समय जब कि वेल्सलो की इच्छा के अनुसार कॉलिन्स सींधिया के राज में जगह जगह झगड़े खड़े कर रहा था, रेजिडेण्ट पामर पूना दरबार में उसी प्रकार फूट के बीज बो रहा था, और खास कर दौलतराव के खिलाफ़ बाजीराव और उसके सलाहकारों के कान भरा करता था। करनल कॉलिन्स ने अब अपनी पूरी कोशिश से सोंधिया की स्थानीय सेना और उसकी प्रजा के अन्दर असन्तोष पैदा करना और लोगों को सींधिया के विरुद्ध भडकाकर झगड़े तथा विद्रोह खड़े करना शुरू किया। किन्तु यह चाल भी दौलतराव के विरुद्ध अधिक सफल न हो सकी। वह योग्य नरेश पूना में बैठे हुए वहीं से अपने राज्य के इन सब झगड़ों को सुन्दरता के साथ तय करता रहा। मार्किस वेल्सली को इस समय खासी कठिनाई का सामना ३५