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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१४०

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पेशवा को फांसने के प्रयत्न

पेशवा को फाँसने के प्रयत्न ५५३ खा रही है, तब तक दक्षिण में हमें दिक्र करने का सींधिया के पास काफी सामान रहेगा; इसलिए यह अत्यन्त मावश्यक है कि जब तक या तो सींधिया हिन्दोस्तान लौट न जाय और या टीपू सुखवान के साथ सन्धि होकर हमारी हालत ऐसी न हो जाय कि हम अधिक सफलता के साथ सींधिया की दशा के लिए उसे दण्ड दे सकें, तब तक सींधिया से लड़ाई न छेड़ी जाय।" 'दगा' सींधिया की ओर यो अथवा वेल्सली की ओर, यह बात इतिहास के एक एक पन्ने से साफ जाहिर है। | किन्तु अब यह भी स्पष्ट था कि वेल्सली सींधिया की ज़बरदस्त सय्यारी ____के नाश पर कटिबद्ध था, उसके उपाय सोच रहा था, अन्य भारतीय नरेशों को सींधिया के विरुद्ध भड़का रहा था, सींधिया राज्य के अन्दर जगह जगह विद्रोह खड़े करवा रहा था, स्वयं सींधिया कुल के अन्दर दौलतराव के विरुद्ध गुप्त साज़िशें कर रहा था और ऊपर से साफ़ झूठ बोलकर ऐन मौक तक निर्दोष सोंधिया को धोखे में रखना चाहता था। दौलतराव ने जब यह सब समाचार सुने और उसे मालूम हुआ कि कम्पनी की सेना मेरी सरहद पर जमा हो पूना रही है तो उस विश्वास हो गया कि अंगरेज़ से रवाना होना " मेरे राज्य पर हमला करने वाले हैं। मजबूर होकर अब वह पूना छोड़ कर अपने राज्य की रक्षा के लिए उत्तर की ओर चला पाया । वेल्सली की एक बहुत बड़ी इच्छा पूरी हो गई । उसके लिए अब टीपू को कुचल डालना और बाजीराव को सीलि