पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१६२

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५७४
भारत में अंगरेज़ी राज

५७४ भारत में अंगरेजी राज एक दूसरे पत्र में मार्किस वेल्सली ने लिखा है कि यदि किसी एक भी मराठा मरेश ने कम्पनी के साथ इस वेल्सखी का दूसरा तरह की सन्धि स्वीकार करली तो परिणाम यह गुप्त पत्र होगा कि-"तमाम मराठा रियासते अंगरेज सरकार के अधीन हो जायेंगी; जो इस सन्धि को स्वीकार कर लेंगी वे सन्धि द्वारा हमारे अधीन हो जायँगी और जो स्वीकार न करेंगी वे सन्धि से वञ्चित रहने के कारण हमारे अधीन हो जायेंगी।"* ऊपर के “गुप्त" पत्रों को भाषा निष्कपट है और उनसे देशी रियासतों की ओर अंगरेजों की नीयत साफ जाहिर है; 'सबसी- डीयरी' सन्धियों का एक मात्र उद्देश यह था कि हिन्दोस्तान के राज्यों की स्वाधीनता छीनकर और उन्हें एक दूसरे से फाड़ कर 'विदेशी सत्ता के आश्रित बना लिया जाय; फिर भी जिन नरेशों के साथ ये सन्धियाँ की जाती थीं उन्हें बड़े विस्तार के साथ बताया जाता था कि ये सब निस्वार्थ प्रयत्न केवल तुम्हारे भले और तुम्हारे कल्याण के लिए किए जा रहे हैं। हम ऊपर लिख चुके हैं कि वेल्सली का लक्ष्य इस समय मराठों - --- -- ---- a crists of affairs which may compel thr remaining states of the Empire to accede to the allhance"-Secret letter dated 23rd June, 1802, from N B. Edmonstone, Secretary to Government, to Lt Colonel Close Resident at Poona • " Every one of the Maratha states would become dependent upon the English Government , those who accepted the alliance, by the allhance, those who did not accept it, by being deprived of it."-Marquus Wellesley as -quoted by Mill, vol vi, p 271.