पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१६४

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भारत में अंगरेज़ी राज

५७६ भारत में अंगरेजी राज इतिहास लेखक मिल ने करमल कॉलिन्स के इन वाक्यों का भाषान्तर इस प्रकार किया है :- __दूसरे शब्दों में सींधिया अभी तक इतना नीच न हो पाया था कि स्वयं जान बूझ कर उस स्थिति में चला पाता जिसमें वेन्सली की 'परस्पर- सैनिक सहायता-सन्धि' की प्रणाली में एक बार शामिल होकर वह अवश्य गिर जाता।"* कॉलिन्स ने अब बेल्सली पर जोर दिया कि पहले पेशवा ही को वश में करने का प्रयत्न किया जाय । उधर करनल कोज़ वेल्सली को लिख चुका था कि-"जब तक असन्दिग्ध नाश सामने खड़ा हुआ दिखाई न देगा तब तक बाजीराव इससे अधिक के लिए राज़ी न होगा।" इस लिए अब किसी न किसी प्रकार 'असन्दिग्ध नाश' बाजीराव के सामने खड़ा कर देना आवश्यक था। ____ उधर दौलतराव सींधिया को भी इस बात की चिन्ता थी कि बाजीराव कहीं अंगरेजों की चालों में न आ जाय । वह समझता था कि पेशवा के सबसीडीयरी सन्धि स्वीकार करने का परिणाम मराठा मण्डल के लिए घातक होगा। इस बीच वह फिर एक बार ship at that time subsisting between him and the English Government At the same time, I consider it my indispensable duty to apprise your excellency that I am firmly persuaded he feels no inclination whatever to improve these relations."-Resident Collins' letter to the Governor General, Mill. vol vi, p272. ___. “ In other words, he (Sindhia) was not yet brought so low, as wallingly to descend into that situation in which a participation in the system of defensive alliance and mutual guarantee' would of necessity place him "-Mill, vol vi, p 272.