पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१८०

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भारत में अंगरेज़ी राज

५४२ भारत में अंगरेजी राज साम्राज्य के लिए अपमानजनक और भविष्य के लिये अशुभ सूचक न समझा हो। पेशवा बाजीराव के पुनरभिषेक के सम्बन्ध में इतिहास लेखक मिल लिखता है- ___"x x x शायद मानव प्रकृति के साथ इससे अधिक घोरतम पाप दूसरा कोई नहीं हो सकता कि विदेशी सेनाओं के बल और विदेशी शासकों की खुशी अथवा उनके फायदे के लिए किसी क्रीम के ऊपर जबरदस्ती एक ऐसी गवरमेण्ट बाद दी जाय, जिसमें इस तरह के आदमी हों, अथवा जो इस तरह के सिद्धान्तों पर कायम हो, जिन्हें वह जाति अपने अनुभव से बुरा समझ कर त्याग चुकी है, या जिन्हें था इसलिए पसन्द न करती हो क्योंकि उसे उनसे अच्छे मनुष्यों वा सिद्धान्तों का अनुभव मिल चुका है वा उनकी पाशा है " २४ दिसम्बर सन् १८०२ को वेल्सली इङ्गलिस्तान के शासकों को लिख चुका था:- "जिस तरह की सैनिक सन्धियों मैं मराठा नरेशों के साथ करना चाहता हूँ, वे भारत के अन्दर ब्रिटिश साम्राज्य को पूरी तरह पक्का करने के लिए, और भारत की भावी शान्ति के लिए आवश्यक हैं। ___the most flagit ous perhaps of all the crumes which can be committed against human nature the imposing upon a nation by force of foreign armies and for the pleasure or interest of foreign rulers a Govern ment composed of men and involving principle which the people for whom it is destined have either rejected from expenerce of their badness or repel from their experience or expectation of better -Mill vol vi, Chapter 2 Pp 286 87 + In has address to the home authorities dated the 24th of December,