पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/१८७

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दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ

दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ करने के लिए तमाम मराठा साम्राज्य की सरहद के बराबर बराबर फौजें जमा करना और युद्ध की तैयारी करना शुरू कर दिया। निस्सन्देह सीधिया और भोसले दोनों के जरखेज़ इलाकों पर घेल्सली के बहुत दिनों से दांत थे और अब वह अपनी इच्छा को पूरा कर लेना चाहता था। १६ अप्रैल को गवरनर जनरल वेल्सलो ने कम्पनी के डाइरेक्टरों के नाम एक पत्र भेजा जिसमें लिखा है-"सींधिया मे बाजीराव के फिर से पेशवा बनाए जाने को स्वीकार कर लिया है, किन्तु बसई की सन्धि के विषय में उसने करनल कॉलिन्स से स्पष्ट कह दिया है कि जब तक सन्धि को सब शर्ते और स्वयं बाजीराव के विचार मुझे ठीक ठीक मालूम न होंगे, मैं उस सन्धि के लिए अपनी अनुमति न दूंगा। बरार के राजा राघोजी भोसले ने भी बसई की सन्धि पर अपनी अनुमति देना स्वीकार नहीं किया।" इङ्गलिस्तान के शासक भी इस समय भारत में अपना राज बढ़ाने के लिए अत्यन्त उत्सुक थे। इस काम में अंगरेज़ कमाण्डर गवरनर जनरल वेल्सली की सहायता के लिए इन-चीफ लाई लेक का परिचय जनरल लेक को कम्पनी कीसेमाओं का कमाण्डर- इन-चीफ़ नियुक्त करके भारत भेजा गया। दूसरे मराठा युद्ध के साथ जनरल लेक का इतना घनिष्ट सम्बन्ध है कि आगे बढ़ने से पहले उसके चरित्र पर भी एक दृष्टि डाल लेना श्रावश्यक है। भारत की अंगरेजी सेनाओं का कमाण्डर-इन-चीफ़ नियुक्त