६०० भारत में अंगरेजी राज होने से पहले जनरल लेक प्रायरलैण्ड के अन्दर कमाण्डर- इन-चीफ़ एह चुका था। लेक हो की सहायता से उस समय के इङ्गलिस्तान के शासकों को आयरलैण्ड की खतन्त्रता का नाश करने में सफलता प्राप्त हुई । जिन उपायों द्वारा जनरल लेक ने आयरलैण्ड को इङ्गलिस्तान के अधीन किया उनमें मुख्य उपाय, लॉर्ड कार्नवालिस के बयान के अनुसार, उसी के शब्दों में, ये थे- "श्रायरलैण्ड निवासियों को धन का लोभ देना, उनके घरों को जला देना, नगर निवासियों का कत्ल-ए-आम, लोगों को कोड़े लगा लगा कर उनसे जबरदस्ती जो चाहे स्वीकार करा लेना, समस्त देश भर में आयरिश स्त्रियों के साथ बलात्कार और लूट खसोट xxxi"* जनरल लेक के इन्ही कृत्यों के आधार पर लन्दन की सुप्रसिद्ध पत्रिका 'रिव्यू ऑफ़ रिव्यूज' के सुयोग्य सम्पादक डबल्यू० टी० स्टेड ने जनरल लेक को “जालिम और बदमाश"* लिखा है। जनरल लेक की इन करतूतों से इङ्गलिस्तान के शासक इतने प्रसन्न हुए कि इसके बाद उसे भारत में कमाण्डर-इन-चीफ़ नियुक्त करके भेजा गया। bribe it (The Irush Parliament) with gold -WO Brien, Contemporary Review for January 1898 the burning of houses and murder of the inhabitants the logging for the purpose of extort- ing confession universal rape and robbery throughout the whole country -Lord Cornwallis letter as Lord Lieutenant of Ireland General Lake a truculent ruffian -W T Stead in his Review of Reviews, Jaly 1898
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