६०४ भारत में अंगरेज़ी राज सन्धि पर अब तक सींधिया और भोसले के हस्ताक्षर न होंगे तब तक वह पक्की नहीं समझी जा सकती। इसीलिए बाजीराव ने उनके आने तक के लिए सन्धि की काररवाई को स्थगित कर रखा था। किन्तु अंगरेज़ सींधिया और बाजीराव के मिलने से डरते थे। १३ मई सन् १०३ को बाजीराव पूना पहुँचा। ४ जून को गवरनर जनरल वेल्सली के भाई मेजर जनरल वेल्सली ने मद्रास के सेनापति जनरल स्टुअर्ट को पूना से लिखा :- ___ "इस देश में हमारी स्थिति ज़रा नाजुक है। अभी तक पेशवा ने अपने उन सरदारों के लिए कुछ नहीं किया जो यहाँ मेरे साथ पाए थे, और उनमें से कोई पूना से नही गया । सन्धि की यह एक शर्त थी कि बाजीराव अपनी सेना मेरे सुपुर्द कर देगा । बाजीराव ने मुझसे वादा भी किया था, किन्तु इस वादे और सन्धि दोनों के विरुद्ध उसने अभी तक अपनी सेना मेरे हवाले नहीं की।xxx मुझे डर है कि सन्धि की शर्तों पर हमारी उसकी मित्रता न चल सकेगी।xxx" १६ जून को जनरल वेल्सली ने जनरल स्टुअर्ट को एक दूसरे पत्र में लिखा :- "पेशवा के नौकर वादे करने मे बड़े तेज़ हैं, किन्तु पूरा करने में बड़े सुस्त और यद्यपि अपने देश की चीजें हमें ला लाकर देने में देशवासियों का ही सान फ्रायदा है, फिर भी यहाँ की चीज़ों से हम इतना कम लाभ उठा पाए हैं कि मुझे करीब करीब सन्देह होने लगता है कि यह सरकार सन्धि से पीछे हटना चाहती है।xxx" दौलतराव सींधिया वीर और समझदार था। वह इस समस्त
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