इरादा दूसरे मराठा युद्ध का प्रारम्भ ६२१ सन्धि की शतों का पूरी तरह पता न था। दोनों भोले भारतीय नरेशों ने इस भेट के समय सच्चे जी से कम्पनी के साथ मित्रता और शान्ति कायम रखने की इच्छा प्रकट की। इसी बातचीत के अनुसार ६ जुलाई को गवरनर जनरल के नाम तीन पत्र लिखे गए। एक करनल कॉलिन्स की ओर से और एक एक महाराजा सींधिया और राजा राघोजी भोसले की ओर से। सोंधिया और भोंसले ने अपने पत्रों में साफ़ लिख दिया कि हम न पूना जाने वाले हैं, न अजन्ती घाट के. । उस पार जायँगे, न हमारा यह इरादा है कि 'चार करने का __अंगरेजों और पेशवा के बीच बसई में जो सन्धि हुई है, उसमें हम किसी तरह का दखल दें। सींधिया के पत्र के उत्तर में घेल्सली ने सींधिया को फिर खिखा कि-"आप शीघ्र अपनी राजधानी वापस लौट जाइए अन्यथा मित्रता नहीं रह सकती।' इस पत्र में भी वेल्सली ने जान बूझ कर सींधिया के लौटने के लिए कोई मियाद नियत न की। इसका कारण वेल्सली ने स्वयं अपने १७ जुलाई के पत्र में करनल क्लोज़ को इस प्रकार लिखा- ___मैंने दौलतराव सींधिया के लौटने के लिए मियाद इसलिए नियत नहीं की xxx क्योंकि लड़ाई शुरू करने का समय मैं अपने ही दिल के अन्दर रखना चाहता हूं। जिससे लाभ यह है कि मुझे पहले वार करने का मौका मिलने की अधिक सम्भावना हैxxx1" • "I have not fixed when he (Daulat Rao Scindhia) should withdraw
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