६२२ भारत में अंगरेजी राज ११ जुलाई को गवरनर जनरल ने अपनी कौन्सिल की एक विशेष बैठक की। इसी के अगले दिन बारलो ने वह खास पत्र लिखकर गवरनर जनरल के सामने पेश किया जिसमें लिखा है- "हमें हिन्दोस्तान में एक भी देशी रियासत ऐसी बाकी नहीं रहने देनी चाहिए, जो कि या तो अंगरेज़ों की ताकत के सहारे खदी न हो, और या जिसका समस्त राजनैतिक व्यवहार पूरी तरह से अंगरेज़ों के हाथों में न १८ जुलाई को गवरनर जनरल ने एक "गुप्त और गूढ़" पत्र में जनरल लेक को फिर लिखा कि श्राप सींघिया वेल्सलो को लेक और भोसले दोनों पर वार करने को तैयार रहिए और- "पूर्ण विश्वास के साथ काम कीजिएगा और आपने युद्ध की जो अत्यन्त योग्यता पूर्व योजना तैयार की है उस पर जल्दी से अमल करने की हर सरह कोशिश कीजियेगा ।" . . because I wish to keep in my own breast the period at which hostilities will be commenced , by which advantage it becomes more prob- able that I shall strike the first blow "-General Wellsley's letter to Colonel Close dated 17th July, 1803 no native state should be left to exist in India, which is not upheld by the British Power, or the political conduct of which in not under its absolute control "-Memorandum of Sir George Barlow to the Governor General dated 12th July, 1803 +". . . you will theretore act confidently and you will use every effort to prepare for the early execution of the very able plan of operations which you have farmed. "-Marquess Wellesley's 'Secret and Confidential letter to General Lake dated 18th July, 1803
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