पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२३१

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भारत में अंगरेज़ी राज

६४० भारत में अंगरेज़ी राज पर काम करता है। मैं समझता हूँ, इस मौके पर उसका पूरा एतबार किया जा सकता है। x x x पत्र के साथ सय्यद रज़ानों को भाप इस तरह की हिदायतें कर दें जिस तरह की कि इस मौके के लिए आपको उचित मालूम हों। xxx उस एजएट को हिदायत कर दें कि देहली में जिस काररवाई का भी उसे पता चले, उसकी ठीक ठीक और ऐन समय पर वह पापको हसला भेजता रहे । x x x" सय्यद रज़ाखा की मार्फत अनेक झूठे वादे इस समय अंगरेजों ने शाहबालम से कर लिए । भोले शाहबालम से वादा किया गया कि जो सत्ता मराठों ने उसके हाथों से छीनी थी वह अंगरेज़ उसे फिर से दिलवा देंगे और वह फिर एक बार भारतीय साम्राज्य का क्रियात्मक अधिराज बना दिया जायगा । जिस प्रकार कि कुछ वर्ष पहले माकिंस वेल्सली ने टीपू सुलतान के विरुद्ध मैसूर के प्राचीन राजकुलों के साथ साज़िश की थी, उसी प्रकार अब उसने महाराजा सौंधिया के विरुद्ध दिल्ली सम्राट के साथ साज़िश की। थोड़े दिनों बाद गवरमर जनरल की आज्ञा से २ दिसम्बर सन् १८०३ को जनरल लेक ने कम्पनी की ओर से इन सब बातों का एक प्रतिज्ञा पत्र-"तहरीरी इकरारनामा"-लिखकर सम्राट शाहबालम की सेवा में पेश कर दिया। सम्राट शाहालम झूठी श्राशाओं के सहारे दौलतराव सींधिया और मराठों से फटा रहा । माकिस वेल्सली का सम्राट शाहधाजम काम निकल गया । किन्तु मैसूर के पुराने राजकुल और सम्राट शाहालम के भाग्यों में