सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२३५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६४४
भारत में अंगरेज़ी राज

६४४ भारत में अंगरेजी राज कि श्राप इन लोगों को अपनी ओर मिलाने के लिए जिस जिस तरह के वादे उनसे करना उचित समझे, कर दें। गवरनर जनरल ने लिखा कि-"मेरा अन्तिम इरादा यह है कि जमना और गङ्गा और कुमायूं के पहाड़ों के बीच के देश में अंगरेज सरकार का कानून जारी कर दिया जाय ।"* इस पत्र में ही गवरनर जनरल ने लेक को यह भी लिखा कि सहारनपुर के पास की गूजर कौम को, जो उस समय सींधिया की प्रजा थी, “निहायत कामयाब तरीको से खुश करके राजी किया जाय कि वे दोश्राब के अन्दर सींधिया की ताकत को उलटने में अंगरेज़ सरकार के साथ मिल जायें।" इत्यादि। अभी तक युद्ध का एलान हुआ था और अंगरेज़ और मराठा नरेश कहने के लिए एक दूसरे के मित्र समझे जाते थे। it both just and expedient, that we should avail ourselves as much as possable, of the discontent and disaffection of his subjects or officers, and I accordingly desire, . . . . you will be pleased to decide on the degree and nature of the encouragement, proper to be given . "I also authorize Your Excellency to give to all tributries or others renouncing their allegrance to Scindbia, and acting sincerely in our favour, the most positive assurances of effectual protection in the name of the Company .. ." . . It is my ultimate intention to extend the regulations of the Bntash Government through out the whole of the country, bounded by the rivers Ganges and Jumna, and by the mountains of Kumaon A part of ths territory is possessed by . . . . Gooyers, . . in the vicinuty ot Saharanpore, "Your Excellency's prudence will dictate the expediency of employing the most efficacious measures for the purpose ot conciliating the Gooyers,