पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२४०

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साजिशों का जाल

साजिशों का जाल ६४६ के कारण ही सिक्खों और खास कर महाराजा रणजीतसिंह की सत्ता ने बाद में इतनी अधिक उन्नति की। रामपुर का पदच्युत रुहेला नवाब गुलाम मोहम्मद खाँ इस . समय सींधिया के पक्ष में था। इसलिए २२ रुहेला नवाब के अगस्त सन् १८०३ को गवरनर जनरल ने विरुद्ध योजना जनरल लेक को एक गुप्त पत्र लिखा कि बम्बू खाँ को बढ़ाकर उसकी मदद से गुलाम मोहम्मद खाँ को गिरफ्तार करने की कोशिश की जाय और लिखा:- ___"यदि आपकी यह राय हो कि xxx नकद रुपए मिखाने की मासा से बम्बू हाँ इस काम में अधिक जोश के साथ प्रयत करेगा तो पापको भधिकार है कि जितनी बड़ी रकम का भी भाप उचित समझे, वादा कर लें और उससे कहना भेजें। ___ मालूम नहीं कि इस बम्बू खाँ ने अंगरेजों की क्या क्या सेवाएँ की और अन्त में उसे क्या इनाम मिला। भरतपुर का राजा रणजीतसिंह भी सींधिया के खास सामन्तों न में से था। मार्किस वेल्सली के नाम जनरल लेक भरतपुर के राजा के १३ अगस्त सन् १८०४ के एक पत्र में लिखा है कि अंगरेजों ने भरतपुर के राजा से यह वादा को लोभ . It your Excellency should be of opinion that the offer of a pecunuary reward is calculated to stimulate the exertions of Bamboo Khan . . . Your Excellency is at liberty to convey to him the offer of such a reward to any extent which Your Excellency mey deem proper." Marquess Wellesley's 'Secret ' letter dated 22nd August, 1803 to General Lake.