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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२५०

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार ६५४ उसका उद्देश भी यह था कि "दक्खिन के मराठा जागीरदारों पर दबदबा कायम रक्खा जाय।" १७ अगस्त को जनरल वेल्सली ने करनल क्लोज़ को लिला:- "यदि पेशवा बाजीराव इस गोल मोख वादे से सन्तुष्ट हो जाय कि जो इलाका हमने जीता है उसका उपयोग दोनों मित्र सरकारों के फायदे के लिए किया जायगा, तो बहुत ही सुविधा रहेगीxxxi "किन्तु मैं इस बात को अत्यन्त महत्वपूर्ण समझता हूँ कि जहाँ तक हो सके पेशवा के चित्त को सन्तुष्ट रखना जरूरी है, ताकि अंगरेजों के साथ जो सन्धि उसने को है उस पर वह कायम रहे और अपने इरादे में बिलकुल सवाडोल होने न पाए, नहीं तो डर है कि दक्खिन के जागीरदार कम्पनी के विरुद्ध युद्ध छेद देंगे।" पेशवा के इरादों की खबर रखने के लिए और इस काम के लिए कि पेशवा पूना से बाहर न निकलने पाए, यो अंगरेज़ों ने पेशवा के मन्त्रियों को खूब रिशवते को रिशवते दी। २४ अगस्त को जनरल वेल्सली ने मेजर शा को लिखा:- ."Overawing the Southera Maratha Jagirdars " G Stuart's Despatch to the Governor-General, 8th August, 1803 + "If the Peshwa Baji Rao should be satisfied with ageneral assurance that the conquered territory Is to be applied to the benefit of the allies, it will be most conventent. “But I consider it to be an object of the utmost importance that the Peshwa's mind should be satisfied as far as possible, in order that there may appear, no wavering in his intention to adhere to the alliance on which the