६६० भारत में अंगरेज़ी राज "मैं नहीं समझता कि पेशवा पूना से भागने की कोशिश करेगा; अथवा यदि पेशवा चाहे भी तो वह बिना उसके मन्त्रियों को खबर हुए भाग सकता है। आपने करनल लोन के नाम मेरे पत्रों से देखा होगा कि मैंने क्लोज पर जोर दिया है कि सब बातों की ठीक ठीक खबर रखने के लिए मन्त्रियों को धन दिया जाय । _ "जब तक युद्ध ख़तम न हो जाय हम पूना की गवरमेण्ट को ठीक करने को तदबीर नहीं कर सकते । वहाँ की गवरमेण्ट की हालत खराब अवश्य है, फिर भी उसे अभी ऐसी ही रहने देना होगा। यदि हम इस समय उसे बदलने की कोशिश करेंगे, तो हमें अपने पीछे की ओर भी लड़ाई लड़ना पर जायगा जिससे हमारा सर्वनाश हो जायगा।"* करनल क्लोज़ के नाम के जिन पत्रों का ऊपर जिक्र किया गया है वे वेल्सली के छपे हुए पत्रों में कहीं नहीं मिलते, जिससे ज़ाहिर है कि मराठों की सत्ता का सर्वनाश करने के लिए अंगरेजों ने जो जो काररवाइयाँ की उनमें से अनेक पर अब सदा के लिए परदा southern Jagsrdars might found acts of hostility against the Company "- General Wellesley's letter to Colonel Close, dated 17th August, 1803 . “I have no idea that the Peshwa will attempt to fly from Poona: or that if he should be so inclined he could carry his plan into execution without the knowledge ot his ministers You will have observed trom my letter to Coloner Close, that I have urged him to pay the ministers, in order to have accurate information of what passes " "We can not contrive to settle the Government at Poona till the conclusion of the War. Bad as the situation of the Government 15, it must be allowed to continue. If we were to attempt to alter it now, we should have a contest in our rear, which would be ruinous'"-General Wellesle latter to Major Shawe, dated 24th August, 1803
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