पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६

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४५४
भारत में अंगरेज़ी राज

४५४ भारत में अंगरेजी राज १७६ को एक पत्र में माकिंस क्सली को दर्शाया कि भापकी पाशकाएँ बिलकुल बेबुनियाद हैं और टीपू से इस समय युद्ध छेड़ना अनुचित है। मद्रास गवरमेण्ट के सेक्रेटरी जोशिया वेब ने ६ जुलाई सन् १७६ को वेल्सली को लिखा कि-"फ्रांस की जो सेना मारीशस टापू में थी भी वह सब वहाँ से यूरोप को भेज दी गई है और फ्रांसीसी जहाज तक यहां से हटा लिए गए हैं, इसलिए झांसीसियों और टीपू के बीच साजिश होना असम्भव है।" किन्तु वेल्सली के लिए फ्रांसीसियों और टीपू की साजिश केवल एक बहाना थी, उसका असली उद्देश टीपू सुलतान को मिटाकर ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य को बढ़ा लेना और भविष्य के लिए अपने मार्ग से एक जबरदस्त रुकावट को दूर कर देना था। ६ जून सन् १७६८ को वेल्सली ने जनरल हैरिस को लिखा कि टोपू के विरुद्ध सेना जमा की जाये, और उसके टापू के साथ पांच दिन बाट १४जन को उसनेटीको एक धोखा अत्यन्त प्रेम भरा पत्र लिया। इसके अलावा टीपू को और भी पूरी तरह धोखे में रखने के लिए उसने एक नई चाल चली। सर जॉन शोर के समय से बाईनाद के इलाके के विषय में कम्पनी और टीपू के बीच कुछ झगड़ा चला माता था। वेल्सली ने अपना प्रेम दर्शाने के लिए अब वह इलाका टीपू को लौटा दिया। वेल्सली के प्रेम भरे पत्र के उत्तर में भोले टीपू ने अमरेज गवरनर जनरल को लिखा:- "भापका मित्रता सूचक पत्रxxxमिना x x x उससे मुझे इस