पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
४५५
टीपू सुल्तान

रोफू सुलतान कवर .शी और तसही हुई कि जिसे पूरी तरह पर बयान नहीं किया जा सकता Ixxxईरर की पा से दोनों बादशाहों के बीच एकता और प्रेम का उस सम्बन्ध और दोस्ती और मेवा की बुनियादें पूरी मामूली से कायम है। मुझे हमेशा इसका प्रयास रहता है कि मौजूदा सुबाहनामों की खों पर कायम रहूँ । चाप दिल से मेरे दोस्त और सम्वाह है, और मुके विश्वास है कि माप ध्यान से एकता और प्रेम को कायम रखलेंगे।" निस्सन्देह टीपू को वेल्सली की वास्तविक इच्छा और उसकी दुरकी नीति का पता न था । वेल्सली एक ओर टोपू को अपनी मित्रता का विश्वास दिलाता रहा और दूसरी ओर उस पर हमला करने की गुप्त तैयारियां करता रहा । धीरे धीरे कुछ भनक टीपू के कानों तक भी पहुंच गई । २८ सितम्बर सन् १७६ को वेल्सली के पास टीपू का एक और पत्र पहुँचा, जिसमें टीपू ने लिखा:- "दुष्ट लोग थोथे झगडे और तनाज़े खडे करके, अपना मतबब पूरा करना चाहते हैं, किन्तु ईश्वर की कृपा से दोनों बादशाहतों के बीच एकता और प्रेम के चरमे इतने पाक और साफ बह रहे हैं कि स्वार्थी लोगों की चालों से वे गन्दे नहीं हो सकते।" वेल्सली ने एक महीने के ऊपर तक इस पत्र का कोई उत्सर न दिया। इस बीच मिश्र देश के उत्तर में अंगरेज सेनापति नेलसन ने फ्रांस के जहाज़ी बेड़े का खात्मा कर डाला । फ्रांसीसियों का डर शुरू से भूठा था। यह डर किसी स्वतन्त्र भारतीय नरेश पर • Tipoo sletter to Governor General received an Calcutta 10th July, 1798