पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६४

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार और स्वयं बरार के राजा के मुकाबले के लिए बढ़ा। किन्तु मराठा सेना के दो टुकड़े हो जाने पर भी और वेल्सली के कई दिन तक पूरी कोशिश करने पर भी स्टीवेन्सन अथवा वेल्सली दोनों में से किसी को मराठा नरेशों के मुकाबले का ज़रा सा भी साहस न हो सका। ___ वेल्सली ने इस समय यह सोचा कि गुजरात पहुँच कर सोंधिया के गुजरात के इलाके पर हमला किया जाय और बरार के उत्तर में गाविलगढ़ के किले पर चढ़ाई की जाय । किन्तु वेल्सली को डर था कि कहीं सोंधिया और भोसले दोनों एक पच्छिम और दुसरा पूरब की ओर बढ़कर मेरी इन दोनों योजनाओं को असफल न कर दें। सम्भव है कि सींधिया और भोसले को भी इसका खयाल हो और उन दोनों के अलग अलग होने का यही उद्देश रहा हो। जो हो, वेल्सली ने फिर छल से काम लेने का निश्चय किया। उसने सुलह की बातचीत शुरू करके सींधिया सुलह की और भोसले दोनों को धोखे में रखने का इरादा बातचीत किया। सींधिया की ओर से बालाजी कुंजर का पत्र प्रा ही चुका था। बरार के राजा भी अमृतराव द्वारा सुलह की कोशिश कर रहा था। वेल्सली ने अब रुख बदला और ३० अक्तूबर सन् १८०३ को बालाजी कुञ्जर के नाम नीचे लिखा पत्र भेजा:- "पाप का पत्र मिला x x x और करनल स्टीवेन्सन ने मेरे पास एक