पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२६५

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६७४
भारत में अंगरेज़ी राज

६७४ भारत में अंगरेज़ीराज फारसी का पत्र मेजा है जिसमें आपने उसे इत्तला दी है कि पाप मोहम्मद मीर खाँ को मेरे पास सुखह की बातचीत के लिए भेजने वाले हैं। मैं मोहम्मद मीर खों से मिल कर बहुत खुश हूँगा। मोहम्मद मीर खाँ की पदवी के अनुरूप उचित ढा से मैं उनका स्वागत करूँगा और जो कुछ उन्हें कहना होगा, उस पर पूरा ध्यान दूंगा।"* साथ ही इसी तरह का एक पत्र उसने मोहम्मद मीर खां के पास भेजा जिसमें लिखा :- ."x x x मैं पाप से मिल कर बड़ा खुश हूँगा और आपकी पदवी और चरित्र के अनुरूप प्रादर सत्कार के साथ आप का स्वागत करूँगा और जो कुछ प्रापको कहना होगा, उस पर पूरा पूरा ध्यान दूंगा।" किसी कारणवश मोहम्मद मीर खाँ के बजाय, समय पर जसवन्तराव घोरपड़े सीधिया की ओर से अस्थायी सुलह की बातचीत के लिए भेजा गया। २३ सुलहनामा नवम्बर सन् १८०३ को अंगरेजों और दौलतराव सोंधिया के बीच युद्ध स्थगित कर देने के लिए एक अस्थायी • "I have received your letter and Colonel Stevenson has transmitted to me a Persian letter, in which you have informed him that Mohammed Mir Khan was about to be sent on a mission to me I shall be happy to see Mir Khan I will receive him in amanner suitable to his rank, and I will pay every attention to what he may have to communicate "- General Wellesley's letter to Balaji Kunjer, dated 30th October, 1803 +" . . I shall be happy to see you, and will receive you with the honours due to your rank and character, and I shall pav every attention to what you may have to communicate."-General Wellesley's letter to Mohammed Mar Khan.