६२ भारत में अंगरेजी राज भीलों की थी, जिनके अपने कई छोटे छोटे राजा थे। ये सब राजा सीधिया को खिराज देते थे। कम्पनी की सेना को भडोच के किले पर हमला करने के लिए इन राजाओं के पहाड़ी इलाकों में से निकलना पड़ता। २ अगस्त सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने बम्बई के गवरनर को लिखा कि-"यदि ये भील राजा हमारे विरुद्ध खड़े हो गए तो जितनी सेना कम्पनी की ओर से भेजी जा सकती है, वह इनमें से एक राजा को वश में करने के लिए भी काफ़ी नहीं हो सकती। इसलिए इन समस्त भील राजाओं को अपनी ओर मिलाया जाय। उन्हें इस बात का लोभ दिया जाय कि तुम्हारा खिराज सदा के लिए माफ़ कर दिया जायगा।"* सूरत के कुछ अंगरेजों की मार्फत इन भील राजाओं को अपनी ओर किया गया। इसके बाद ६ अगस्त सन् १८०३ को जनरल वेल्सली ने गायकवाड़ की सबसीडोयरी सेना को श्राज्ञा गायकवाड़ को दी कि वह फौरन भडोच के किले पर हमला सबसीडोयरी सेना " कर दे। महाराजा श्रानन्दराव गायकवाड़ बड़ोदा की गद्दी पर था। उसमें और महाराजा दौलतराव सींधिया में "गहरी मित्रता" थी। सबसीडोयरी सेना का सारा खर्च . you will urge the gentleman at Surat to keep on terms with the Bheels . . The number of troops I have above detailed . they mil not be Inficsent for the subjectson even of one of their Rajas; . . it would be better to give up all claims of tribute . -General Wellesley's letter to the Governor of Bombay, dated 2nd August, 1803.
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