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पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/२७४

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साम्राज्य विस्तार

साम्राज्य विस्तार गायकवाड़ देता था और सन्धि के अनुसार यह सेना गायकवाड़ ही की सेवा और सहायता के लिए नियुक्त थी। इसलिए महाराजा आनन्दराव गायकवाड़ ने इस बात पर सख्त एतराज़ किया कि यह सेना दौलतराव सोंधिया के राज पर हमला करने के लिए भेजी जाय और गायकवाड़ की राजधानी बड़ोदा से सोंधिया के राज पर हमला किया जाय । किन्तु सेना कम्पनी की आज्ञा के अधीन थी। जनरल वेल्सली ने अपने २२ अगस्त के एक पत्र में साफ़ लिख दिया कि-"कम्पनी के साथ सबसीडीयरी सन्धि का मतलब ही यह है कि कम्पनी जहाँ चाहे अपने शत्रुओं के विरुद्ध इस सेना का उपयोग कर सकती है।" सन्धि की शतों में यह बात कहीं न थी, फिर भी महाराजा अानन्दराव गायकवाड़ की बात नहीं सुनी गई। करनल वुडिङ्गटन के अधीन गायकवाड़ की इस सेना ने, जिसमें एक कम्पनी तोपखाने की और दो पलटने हिन्दोस्तानो पैदलों की थीं, २१ अगस्त को सेना बड़ोदा से कूच किया । २३ को यह सेना भडोच के किले से दो कोस के अन्दर पहुँच गई । दौलतराव सींधिया अभी तक उस किले की रक्षा का कोई खास प्रबन्ध न कर पाया था। २५ अगस्त से मुहासरा शुरू हुआ और २६ को किला अंगरेजों - • "Although it is not immediately specified, . . . the Gaikwad should also assist the Company with his forces against the enemies of the Batish Government "-General Wellesley's letter to Bombay Government, dated 22nd August, 1803